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Friday, December 30, 2011

तन का भी सम्मान हो.......


आत्मन् !
इस वर्ष माह नवम्बर के अंतिम सप्ताह से “मेथी की भाजी” पर एक बाल गीत लिखा था जिसे आप सभी ने सराहा. सब्जियों के विशेष मौसम ने और आपकी सराहना ने और भी अन्य सब्जियों पर लिखने को प्रेरित किया. माह दिसम्बर में मटर , हरी मिर्च , पालक ,गाजर , टमाटर ,करेला , मूली ,कद्दू , पपीता और मुनगा यानि सहजन पर गीत रचे. इन्हें भी आप सभी का प्यार मिला. इसके पूर्व बाल-गीत पर कभी भी कलम नहीं चली थी , सब्जियाँ भी पहली बार विषय – वस्तु बनी. बहुत अच्छा लगा जब किसी विशेष सब्जी पर लिखने की फरमाइश भी आई. नवीनमणि त्रिपाठी जी के आग्रह पर पपीता लिखी गई. विद्या जी के अनुरोध पर कद्दू और मुनगा (सहजन) की रचना हुई. मनोज कुमार जी ने कहा यदि मैं शिक्षामंत्री होता तो आपकी सारी बाल कवितायें कोर्स में लगवा देता. देता.महेंद्र वर्मा जी और संजय मिश्रा हबीब जी ने भी कहा कि इन्हें पाठ्य पुस्तक में शामिल किया जाना चाहिये. काजल कुमारजी ने कहा कि यह कविता MDH मसालेवाले के हाथ लग गई तो ले उड़ेंगे. वीरुभाई जी की स्पेशल कमेंट्स आये.आये.रेखा जी ने मुनगा / सहजन पर कहा मेरे पति इस सब्जी को घर में लाते ही नहीं थे ,आपने अपनी रचना के माध्यम से उनकी आँखे खोल दी है. रूप चंद्र शास्त्री जी व चंद्र भूषण मिश्र गाफिल जी ने इन्हें चर्चा-मंच प्रदान किया.यशवंत माथुर जी ने नई-पुरानी हलचल में शामिल किया.
इस श्रृंखला को राजकुमारी जी,,रविकर जी, रश्मिप्रभा जी, रंजना जी, अशोक सलूजा जी, सुरेंद्र सिंह झंझट जी, जाट देवता जी, अनामिका जी, सुरेश शर्माजी , चैतन्य शर्मा जी, मोनिका शर्मा जी, माहेश्वरी कनेरी जी,जी,दिगम्बर नासवा जी, बबली जी, धीरेंद्र जी, जेन्नी शबनम जी, सुषमा आहुति जी, अनुपमा पाठक जी, कुश्वंश जी, रचना दीक्षित जी, ऋता शेखर मधु जी, राजेंद्र तेला निरंतर जी, कैलाश शर्मा जी, पल्लवी जी ,घोटू जी, वंदना जी, मनीष सिंह निराला जी, पॉइंट जी, श्री प्रकाश डिमरी जी, राकेश कुमार जी, आशा जी ,संगीता स्वरूप जी , दिव्या श्रीवास्तव जी, ममता बाजपेयी जी, राजीव पंछी जी, अवंति सिंह जी, कुंवर कुसुमेश जी, अतुल श्रीवास्तवजी, नवीन सी. चतुर्वेदी जी,कुमार राधारमण जी, रजनीश तिवारी जी, एस.एन.शुक्ला जी, वंदना गुप्ता जी, मन के मनके जी, शरद कोकास जी, सदा जी, शिखा वार्ष्णेय जी, उड़न तश्तरी जी जैसे ब्लॉगर्स का आशीर्वाद मिला. आप सभी के प्रति हृदय से आभार प्रकट करता हूँ.
इस श्रृंखला के समापन पर स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता लाती हुई यह कविता प्रस्तुत है , इसे अपने बच्चों को भी जरूर पढ़ायें. आशा है आपके लिए हितकारी होगी.

मन का अभिनंदन जहाँ हो
तन का भी सम्मान हो
मन को परिभाषित करो तो
तन का भी गुणगान हो.

तन अलग औ मन अलग
ये बात जँचती है कहाँ
बूँद से रह कर विलग
बरसात हँसती है कहाँ

मन जहाँ तन से अलग हो
तन वहाँ निष्प्राण हो.....................

तन जहाँ बंशी बजाये
मन वहाँ गायक बने
मन जहाँ शक्ति समेटे
तन वहाँ नायक बने

तन जहाँ मंदिर सरीखा
मन वहाँ भगवान हो.......................

सिर्फ मन की साधना में
तन को ना दुर्बल करो
और तन को ही सजाने
में ना मन निर्बल करो.

तन हो चंगा, मन हो गंगा
बस यही अरमान हो..........................

स्वस्थ तन में ही निरोगी
मन का होता वास है
तन सुखी, मन भी सुखी तो
जिंदगी मधुमास है.

मन जहाँ मृतप्राय साथी
तन वहाँ श्मशान हो..................................


अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर , जबलपुर (मध्य प्रदेश)



Sunday, December 25, 2011

मुनगा / सहजन / ड्रम स्टिक

फूल, पत्ती,जड़ और तना
इन अंगों  से  वृक्ष  बना
किसी वृक्ष के फल बेहतर
फूल किसी  पर  हैं सुंदर.

इन सबमें “मुनगा” बेजोड़
कौन  करेगा  इससे होड़.
सभी अंग में  शक्ति भरी
वाह ! प्रकृति की जादूगरी.

फूल , पत्तियाँ  और फली
खाने में  लगती  हैं  भली
जड़ और छाल से बने दवा
गोंद भी  उपयोगी  इसका.

सेवन  में  अति पोषक है
यह जल का भी शोधक है.
सभी  स्वाद  से  पहचाने
कम ही  इसके गुण जाने.

पत्ती  में  है  विटामिन – सी
फाइबर ,आयरन, कैल्शियम भी
खनिज  तत्व  और फास्फोरस
पत्ती   की  भाजी  दिलकश.

पत्ती  का   चूर्ण  चमत्कारी
गर्भवती   ,  प्रसूता   नारी
करे   जो  सेवन   दूध  बढ़े
नई   पीढ़ी   बलवान   गढ़े.

फूल की सब्जी बढ़िया बने
बेसन के संग भजिया छने.
मुनगा  फली की  तरकारी
करें पसंद सब नर – नारी.

सहजन क्या है जान भी लो
इसकी  ताकत मान भी लो
अंडा दूध  से  दूना  प्रोटीन
कौन भला सहजन से हसीन.

दूध से चार गुना  कैल्शियम
केले से तीन गुना पोटैशियम.
विटामिन - सी है सात गुना
नारंगी  से,   अधिक  सुना.

विटामिन ए का अद्भुत स्त्रोत
गाजर से चौगुना  अति होत.
लौह – तत्व पालक से अधिक
मुनगा  कितना  है  पौष्टिक.

कार्बोहाइड्रेट  ,  बी काम्पलेक्स
इसमें है   सब का   समावेश.
बीज से इरेक्टाइल डिस्फन्क्शन
की  दवा   बने,  बढ़े  यौवन.

दक्षिण     अफ्रीका   में  कुपोषण
देख   कहे  विश्व-स्वास्थ्य संगठन
सहजन   इन्हें    खिलाया   जाय
कुपोषण  का    यह  सही  उपाय.

मुनगे  की  चटनी  और  अचार
कई   रोगों   का   है   उपचार
बढ़ा    विदेशों    में    व्यापार
करता   है   निर्यात    “ बिहार “

दूषित  जल  पीकर  मरते   जन
इसका   भी   उपचार है  सहजन
जल - शोधन  की  क्षमता  इसमें
जन – जीवन  की  ममता  इसमें.

हींग , सोंठ, अजवाइन के संग
जड़  का   काढ़ा लाता है रंग
साइटिका  से  मुक्ति  दिलाता
जोड़ों  की  पीड़ा  को  भगाता.

इसका   गोंद   चमत्कारी  है
जोड़ों    का    पीड़ाहारी   है
मुनगा   एक   वायुनाशक  है
पोषक   और   लाभदायक  है.

बड़े   बुजुर्गों  ने  कुछ  मानी
कुछ  विज्ञान  ने  है  पहचानी
यहाँ – वहाँ पढ़ – सुन कर जानी
बात    जरूरी   थी   बतलानी.

मुनगे  की  महिमा  क्या  बतायें
शब्द  बहुत  कम  हैं  पड़  जायें.
कविता  के  गर   सार में  जायें
मुनगा  सहजन   को   अपनायें.

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )
विजय नगर , जबलपुर ( मध्य प्रदेश )
arun.nigam56@gmail.com

Friday, December 23, 2011

पपीता.....


कच्चा  ताजा   हरा  पपीता
कई  गुणों  से  भरा  पपीता
सब्जी  बना कर खाया जाता
सबके मन को बहुत है भाता.

जैसे  -  जैसे  पकता  जाये
पीले   रंग  में ढलता  जाये.
विटामिन – सी   बढ़ता जाये
मधुर स्वाद से  सजता जाये.

प्रकृति  का  वरदान  पपीता
औषधि गुण की खान पपीता
है अमृत के  समान  पपीता
कर  देता  बलवान  पपीता.

इसमें ए बी सी डी विटामिन
थायमीन  और  रीबोफ्लेविन
एस्कोर्बिक एसिड और प्रोटीन
कार्पेसमाइन , बीटा केरोटीन.

तत्व  सभी  ये हैं हितकारी
करते   दूर   कई  बीमारी
सब्जी , फल दोनों उपयोगी
रखें  देह को  सदा निरोगी.

इसके बीज भी गुणकारी हैं
और बड़े  ही  चमत्कारी हैं
बीज चबा - चबा जो खाये
आँखों की रोशनी बढ़ जाये.

ब्यूटीपार्लर  न  जाना  चाहे
तन  सुंदर  भी  बनाना चाहे
पके  पपीते का  पेस्ट बनाये
मालिश देह की वह कर जाये.

थोड़ी  देर  यूँ   ही  सुस्ताये
उसके  बाद  स्नान कर आये
जो  भी  ये  युक्ति अपनाये
त्वचा नर्म कांतिवान हो जाये.

कच्चा पपीता माह भर खाये
मोटापा  वह   दूर   भगाये.
यह चर्बी को  कम है  करता
और शरीर को चुस्त है रखता.

अगर त्वचापर दाद हो जाये
कच्चे पपीते का दूध लगाये
शीघ्र ही अपना असर दिखाये
दाद खाज का नाश हो जाये.

पका  पपीता  पाचक  होता
उदर रोग में लाभदायक होता
तन में शक्ति का स्त्रोत बढ़ाता
और  नेत्र की ज्योत  बढ़ाता.

गर्भवती  स्त्री   को  बतायें
कच्चा पपीता कभी न खायें.
राय चिकित्सक की ले आयें.
तब  ही कोई  कदम बढ़ायें.

खाने  में  स्वादिष्ट  पपीता
करता  है  आकृष्ट  पपीता
सभी फलों में अच्छा पपीता
पका पपीता , कच्चा पपीता.
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )
विजय नगर , जबलपुर ( मध्य प्रदेश )

Wednesday, December 21, 2011

कद्दू......


सब्जी  लेने  गये थे  दद्दू
लेकर आये  बड़ा  सा कद्दू.
बच्चे देखके मुँह  बिचकाये
उनको कद्दू तनिक न भाये.

दद्दू ने तब स्थिति भाँपी
तुरत निकाली जेब से टॉफी.
बच्चे खुश हो पास में आये
दद्दू , दद्दू  कह चिल्लाये.

सब बच्चों ने टॉफी खाई
मुनिया थोड़ी सी झुंझलाई.
बोली दद्दू दियो बताये
ऐसा क्या जो कद्दू लाये.

तब दद्दू जी जरा मुस्काये
और गोद में उसे उठाये
बोले मुनिया बिटिया सुन
कद्दू में हैं औषधीय गुन.

इसमें होता बीटा केरोटिन
जो देता हमें ‘ए’ विटामिन
कम करता है यह कोलेस्ट्राल
हृदय को रखता खूब सम्भाल.

शर्करा की मात्रा रखे नियंत्रित
पेंक्रियाज को करे परिवर्द्धित
गड़बड़ी पेट की करता दूर
मूत्रवर्धक भी  है  भरपूर.

यह सुपाच्य ठंडक पहुँचाता
मंगल काज नें खाया जाता
जब उपवास करे नर-नारी
सेवन करते हैं फलाहारी.

सब्जी या फिर हल्वा बनाओ
इसके फूल का भजिया खाओ.
छिलका भी इसका लाभदायक
दूर करे ये रोग संक्रामक.

जब उन्तीस सितम्बर आये
कई देश पंपकिन डे मनाये.
कद्दू की महिमा यूँ सुनाई
बात समझ बच्चों के आई.

एक साथ सब बोले दद्दू !
इतना गुणकारी है कद्दू
आज से हम इसको खायेंगे
चलिये हल्वा बनवायेंगे.
 
(मेरे छत्तीसगढ़ी ब्लॉग में "मुनु बिलाई बाल-गीत" http://mitanigoth.blogspot.com )

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )
विजय नगर , जबलपुर ( मध्य प्रदेश )

Saturday, December 17, 2011

मूली


हरा  दुपट्टा  ,  गोरी   काया
सबका दिल है  इस पर आया.
ना सखि जूही, ना सखि जूली
नाम गँवइहा है  मिस – मूली.

नन्हीं नटखट  ,बड़ी चरपरी
लेकिन होती, बहुत गुणभरी.
है सुडौल और छरहरी काया
उसने इसका  राज बताया.

मूली- नीबू  रस  पी जाओ
मोटापे  को   दूर  भगाओ.
रस मिश्रण चेहरे पे लगाओ
और कांतिमय चेहरा पाओ.

मूली का रस सिर में लगाना
लीख - जुँओं से छुट्टी  पाना.
जो  मूली का रस  पी जाता
मूत्र सम्बंधी नहीं रोग सताता.

कोई   याद   करे  हरजाई
और तुम्हें गर हिचकी आई.
मित्र जरा भी  मत घबराना
मूली के  पत्तों को चबाना.

मूली के  पत्ते  मत फेंको
लवन विटामिन भरे अनेको
सेंधा- नमक लगाकर खायें
मुख-दुर्गंध को  दूर भगायें.

मूली में प्रोटीन, कैल्शियम
गंधक ,आयोडीन, सोडियम
लौह तत्व, विटामिन बी,सी
गुण इसके कह गये मनीषी.

पतली वात,पित्त,कफ नाशक
मोटी मूली है  त्रिदोष कारक.
विटामिन का है खजाना
पतली- चरपरी  मूली खाना.

इसे सलाद के  रूप में खायें
या फिर इसकी सब्जी बनायें
मूली की  भाजी है  रुचिकर
मूली का रस अति श्रेयस्कर.

गरमागरम मूली के पराठे
शीत ऋतु में मन को भाते.
बहुत  चमत्कारी है मूली
मत इसको कहना मामूली.

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )
विजय नगर , जबलपुर ( मध्य प्रदेश )