इसी आंगन सदा साया
रहा हूँ
भरे सावन में भी सूखा
रहा हूँ ||
नज़र की रोशनी जिस पर लुटाई
उसी की आँख में चुभता रहा हूँ ||
जवानी खो गई थी परवरिश में
सदा तेरे लिये बूढ़ा
रहा हूँ ||
मुझे तू भूल
कर परदेश बैठा
तेरी यादों से दिल बहला रहा हूँ ||
मशीनों आज का है दिन तुम्हारा
मेरा भी दौर था चरखा रहा हूँ ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट,विजय नगर,जबलपुर
(मध्यप्रदेश)
(ओबीओ लाइव तरही मुशायरा में शामिल मेरी गज़ल)