छंद सरसी
[16, 11 पर यति, कुल 27 मात्राएँ , पदांत में गुरु लघु]
[16, 11 पर यति, कुल 27 मात्राएँ , पदांत में गुरु लघु]
चाक निरंतर रहे घूमता , कौन बनाता देह |
क्षणभंगुर होती है रचना , इससे कैसा नेह ||
जीवित करने भरता इसमें , अपना नन्हा भाग |
परम पिता का यही अंश है , कर इससे अनुराग ||
हरपल कितने पात्र बन रहे, अजर-अमर है
कौन |
कोलाहल-सा खड़ा प्रश्न है , उत्तर लेकिन मौन ||
कोलाहल-सा खड़ा प्रश्न है , उत्तर लेकिन मौन ||
एक बुलबुला बहते जल का , समझाता है यार |
छल-प्रपंच से बचकर रहना, जीवन के दिन चार ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट, विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट, विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)