मन से उपजे गीत (मधुशाला छंद)
ह्रदय प्राण मन और शब्द-लय , एक ताल में जब आते
तब ही बनते छंद सुहाने, जो सबका मन हर्षाते
तुकबंदी है टूटी टहनी, पुष्प खिला क्या पाएगी
मन से उपजे गीत-छंद ही, सबका मन हैं छू पाते ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग
छत्तीसगढ़
ह्रदय प्राण मन और शब्द-लय , एक ताल में जब आते
तब ही बनते छंद सुहाने, जो सबका मन हर्षाते
तुकबंदी है टूटी टहनी, पुष्प खिला क्या पाएगी
मन से उपजे गीत-छंद ही, सबका मन हैं छू पाते ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग
छत्तीसगढ़