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Monday, March 26, 2018

"कॉपी-पेस्ट सन्त के नाम टेलीग्राम"

हे कॉपी-पेस्ट सन्त !!! हे आधुनिक जगत के अवैतनिक दूत !!!  आपका समर्पण स्तुत्य है। सूर्योदय काल से रात्रि नीम विश्राम बेला तक आपका परोपकारी व्यक्तित्व, पराई पोस्ट को कॉपी-पेस्ट करते नहीं थकता। इस व्यस्तता में आप स्वयं सृजन शून्य हो जाते हैं। शून्य ही तो सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड का एकमात्र सत्य है। आज मानव इतना स्वार्थी हो गया है कि किसी दूसरे के बारे में सोचता ही नहीं है। ऐसे कालखंड में स्वयं के सृजन को त्याग कर आप पराये सृजन का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। यही कार्य आपको महानता प्रदान कर रहा है।

आपकी उदारता,किसी की भी पोस्ट की गुणवत्ता और गुणहीनता में तनिक भी भेदभाव नहीं रखती। ऐसी उदारता आपको समदर्शी बनाती है। आप कई बार दूसरों की रचनाओं को भी बिना उनका नाम दिए पेल देते हैं। अज्ञानता का अंधकार आज चारों दिशाओं में फैला हुआ है शायद इसी कारण से रचनाकार व्यर्थ ही आप पर रचना चोरी का आरोप लगा देते हैं। अब उन्हें कौन समझाए कि नाम में क्या रखा है। देवकी और यशोदा के अंतर को समझ पाना सबके लिए संभव भी कहाँ होता है।

हे कर्मनिष्ठ !!! अपने कर्तव्य के पालन हेतु आपने अपने स्वास्थ्य को भी  दाँव पर लगा दिया है। न प्रातः भ्रमण, न व्यायाम, न योगा, न विश्राम !!! और तो और नाश्ते और भोजन को भी आप पर्याप्त समय नहीं दे पाते। आपके मित्र, परिजन, परिचित और इष्टजन अज्ञानता में आप पर नानाविध दोषारोपण करते रहते हैं। ये सब नादान है, आपके सत्कर्मों का मूल्यांकन करना इनके बूते के बाहर है।  इतिहास गवाह है कि हर महान व्यक्ति को शुरू शुरू में कई तरह के विरोधों का सामना करना पड़ा है। आपका विशाल हृदय उनकी नादानियों को नजरअंदाज करता हुआ कर्तव्य मार्ग पर सतत चलते ही रहता है।

आपके कार्यक्षेत्र की विशालता, बाप रे बाप !!! साहित्य, संगीत, विविध कलाएँ, इतिहास, भूगोल, धर्म,  राजनीति, समाज शास्त्र, अर्थ शास्त्र, गाँव, मुहल्ला, देश, विदेश, ब्रम्हाण्ड, भौतिकी, रसायन, जीव-वनस्पति विज्ञान, आकाश, धरा, पाताल, नेता, प्रशासन, सत्ता, विपक्ष, अखबार, मीडिया......क्या क्या नहीं होता आपकी पोस्टों में। प्रगतिशील ऐसे कि आडियो-वीडियो भी आपकी नजर से अछूते नहीं रह पाते हैं। आप गुडमार्निंग से गुडनाइट तक व्याप्त हैं।

आपकी स्तुति में और क्या कहूँ ? आप स्तुति में विश्वास भी तो नहीं रखते।ज्यादा लम्बी पोस्ट को कोई पढ़ता नहीं है इसीलिए इस तार को चिट्ठी समझ कर पढ़ लेना और सोशल मीडिया को अपने ज्ञान से आलोकित करते रहना।

*अरुण कुमार निगम*
आदित्य नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़